NOT KNOWN DETAILS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA

Not known Details About baglamukhi sadhna

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मुद्गरं दक्षिणे पाशं, वामे जिह्वां च विभ्रतीम् । पीताम्बर-धरां सौम्यां, दृढ-पीन-पयोधराम् ।।

The initiation in the information offered through the Guru for simple, safe and protected living, which the Guru painstakingly shares as an working experience, is the very first practice to obtain that know-how-like honor and grace.

तेन दीक्षेति हि् प्रोक्ता प्राप्ता चेत् सद्गुरोर्मुखात।।

६. ॐ ह्लीं श्रीं ऊं श्रीचलाये नमः-वाम-कर्णे (बाएँ कान में) ।

शुद्ध-स्वर्ण-निभां रामां, पीतेन्दु-खण्ड-शेखराम् । पीत-गन्धानुलिप्ताङ्गीं, पीत-रत्न-विभूषणाम् ।।१पीनोन्नत-कुचां स्निग्धां, पीतालाड्गी सुपेशलाम् । त्रि-लोचनां चतुर्हस्तां, गम्भीरां मद-विह्वलाम् ।॥२वज्रारि-रसना-पाश-मुद्गरं दधतीं करैः । महा-व्याघ्रासनां देवीं, सर्व-देव-नमस्कृताम् ।।३

३. ॐ ह्लीं श्रीं इं श्रीजम्भिन्यै नमः-दक्ष-नेत्रे (दाईं आँख में) ।

कौलागमैक-संवेद्यां, सदा कौल-प्रियाम्बिकाम् ।

बालां सत्स्रेक-चञ्चलां मधु-मदां रक्तां जटा-जूटिनीम् ।। शत्रु-स्तम्भन-कारिणीं शशि-मुखीं पीताम्बरोद् भासिनीम् ।

हेम-कुण्डल-भूषाङ्गी, पीत-चन्द्रार्द्ध-शेखराम्। पीत-भूषण-भूषाङ्गी, स्वर्ण-सिंहासने स्थिताम् ।।

अर्थात् सुवर्ण के आसन पर स्थित, तीन नेत्रोंवाली, पीताम्बर से उल्लसित, सुवर्ण की भाँति कान्ति- मय अङ्गोवाली, जिनके मणि-मय मुकुट में चन्द्र चमक रहा है, कण्ठ में सुन्दर चम्पा पुष्प की माला शोभित है, जो अपने चार हाथों में- १.

योगिनी-कोटि-सहितां, पीताहारोप-चञ्चलाम् ।

ऋषि check here श्रीवशिष्ठ द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

उद्यत्-सूर्य-सहस्त्राभां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् । पीताम्बरां पीत-प्रियां, पीत-माल्य-विभूषिताम् ।।

ऋषि श्रीअग्नि-वराह द्वारा उपासिता श्रीबगला- मुखी

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